Ghazal 2

बाप बहुत लाचार होता है तो बस सो लेता है,

बाप बिना बोले, सब मुसीबतें झेल लेता है।

कभी किसी दिन ज्यादा गुस्सा आ जाए अगर,

ज्यादा से ज्यादा वो बस कमरा छोड़ देता है।

चट्टान का सीना, बाज़ू लोहे के लिए,

परिवार के नाम पर संग्राम छेड़ देता है।

कभी जेब में 10 ही हो अगर,

खुद भूखा रहकर, बच्चो को सोमसे ले देता है।

Ghazal 1

वक्त बदलता आया है, और फिर बदलेगा,

ये अठन्नी हाथ की, मैं 100 में बदलेगा ।

अगर ये दुनिया ज़ालिम है तो होने दो,

मैं आज मासूम हूं, कल मैं भी बदलेगा।

मसले जो भी आज जिंदगी में मेरे है,

तुम देखना, उन्हें मैं कल मौकों में बदलेगा।

मैं रोज रात देखता हूं इन लकीरों को,

इन्हे घिस कर, मैं कल अपना तकदीर बदलेगा।