Ghazal 1

वक्त बदलता आया है, और फिर बदलेगा,

ये अठन्नी हाथ की, मैं 100 में बदलेगा ।

अगर ये दुनिया ज़ालिम है तो होने दो,

मैं आज मासूम हूं, कल मैं भी बदलेगा।

मसले जो भी आज जिंदगी में मेरे है,

तुम देखना, उन्हें मैं कल मौकों में बदलेगा।

मैं रोज रात देखता हूं इन लकीरों को,

इन्हे घिस कर, मैं कल अपना तकदीर बदलेगा।

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